Friday, 30 September 2016

7 माह मे जन्मा बाल्क क्यु नही मरता पुण्डीर क्षत्रियो मे ?

___जय क्षात्र धर्म  जय वीर धीर सिंह पुण्डीर जय महाराज पुण्डरीक___


कल पाठको को पुण्डीर वंश की उतपत्ती बताइ आज " सतमासा " कथा के बारे मे बताया जाएगा  ! 


पुण्डरी के राजा मंढेश्वर का पुत्र राजा सुफे देव ( सुफा सिंह)  हुआ  , इनकेे ससुराल ( नाम नही पता ) मे कुछ अनबन होने के कारण पुण्डरी राज्य पर कबजा करने हेतू सुफे सिंह के सालो नेधोके से इनकी हत्या करदी  थी  ! तब इनकी रानी जो 7माह के गर्भ से थी  जब सति होने चिता पर बैठी तब " बिहारीदास "नामक जगा भाट ने रानी से पुण्डरी उत्तराधिकारी की मांग करी  ,  तब रानी मे कटार से अपना पेट चीरकर 7 माहँ के उस बाल्क को भाट को सौंप दिया  और सति होगई  ! 

माता रानी सती के आशिर्वाद से पुण्डीर  क्षत्रियो मे 7 माहँ का जन्मा बालक जिवीत रहता है व अन्यो की भांति कद  , काठी मे लंबा चौडा होता हैं...दुर्भाग्यवष आज यह कथा सतमासा आज पुण्डीर राजपूत भूल गए जो कि हमारी आने वाली पिढी के लिए शुभ संकेत नही है...! 

वर्तमान मे पुण्डीर राजपूतो के यहाँ 9 माह कि जगह 7 माहँ मे जन्मो है और दूसरो  से हष्ट  ,  पुष्ट भी  ! 2 सतमासे हमारे परिवार मे भी जन्मे है.... 


" आगे आपको पुण्डीर क्षत्रियो की वंशावली सहित पुण्डरी में राज्य कायम करने से जमना पार आने तक के इतिहास पर प्रकाश डाला जाएगा "

                                 धन्यावाद  !

------ " श्री क्षत्रिय राजपूत इतिहास शौध संसथान " सहारनपुर. 

शौधकर्ता :- यश प्रताप सिंह अंब्हैटा चाँद (  कुँवर बिसलदेव के पुण्डीर)  

+91-8755011059......


Wednesday, 28 September 2016

पुण्डीर क्षत्रियो की उतपत्ती

जय क्षात्र धर्म 

पुण्डीर वंश उतपत्ती :-

भगवान सूर्यदेव का वंशज राजा रघु हुए , महाराज रघु के श्री राम  , श्री राम जी के पुत्र कुश हुए !

कुश की पिढी मे हुआ उतपन्न पुण्डीर वंश  | 


कुश - अतिथी - निषाध - नल  - नभ -  महाराज पुण्डरीक प्रथम !

कइतिहासकार इनही माहराज पुण्डरीक जी से पुण्डीर वंश कि उतपत्ती मानते है.. पर यह सत्य नही है.  ! 

इनही महाराज पुण्डरीक की 158वीं पिढी मे राजा सौमदत्त हुए  , इनके 2 पुत्र हुए  , प्रथम राजा शिलादित व दूसरे राजा अतिथ  !  राजा अतिथ के पुत्र रथभरत हुए व इनके पुत्र अमिरथ हुए.  ! इनही अमिरथ के पुत्र महाराज पुण्डरीक हुए और यही से पुण्डीर शाखा चली ( 3सरी का अंतिम व 4थीं शताबदी काल)  !

महाराज पुण्डरीक द्वितीय का वंश व्रक्ष :- पुण्डरीक - असम - धनवंत - बाहुनिक - राजा लक्षमण कुमार उर्फ तिलंगदेव  !

इन राजा लक्षण कुमार उर्फ तिलंगदेव ने तिलंगाना शहर बसाया व लाहडू शहर इसकी राजधानी बनाई ( वर्तमान मुज्जफराबाद आंध्र प्रदेश)  ..


तिलंगदेव के 2 पुत्र हुए :- काकल देव जढेश्वर (जढासुर)  . काकल देव के वंशज आंध्र प्रदेश मे ही है जो पुण्डीयार कहलाते है..  राजा जढेश्वर का पुत्र मंढेश्वर हुआ  , जिनकी हथेली पर बाल उग गए थे वह यह सपरिवार राजपुरोहित की आग्या अनुसार कुरूक्षेत्र कुण्ड हेतू स्नान करने पधारे  ,यहां इनहे सफेद हाथी दान करना था!  

सफेद हाथी उस समय कुरूक्षेत्र के समीप राजय थाऩेश्वर के राजा सिंधूराज के पास था  ! पुण्डीर राज ने सफेद हाथी मांगा तो सिँधूराज ने इंकार करदिया ल युद्ध की परिस्थिति उतपन्न हुइ किंतू समय रहते एसा नही हुआ व सिंधूराज ने अपनी पुत्री अल्पदे का विवाह मँढासुर से कर कैथल क्षेत्र दहेज मे दिया (  वर्तमान करनाल  , कुरूक्षेत्र सारा क्षेत्र कैथल मे ही आता था)  ! राजा मँढासुर ने यहाँ पुण्डरी गढ की स्थपना कराइ व हावडी  , चूर्णी आदी किलो का निर्माण हुआ ! पुण्डीरो के अधीन यह सारा क्षेत्र पुण्डरी कहलाया जो वर्तमान मे कैथल का कस्बा है और 14 किमी दूर है कैथल से ! 






( ------- अगली कडी मे पुण्डीर वंश की सतमासा कथा व यहा से आगे के इतिहास पर प्रकाश डाला जाएगा ---) 

लेखक :- यश प्रताप सिंह अंब्हैटा चाँद ( कुँवर बिसलदेव के पुण्डीर)  
" श्री क्षत्रिय राजपूत इतिहास शौध संसथान " अप्रकाशित पुस्तक :- " सूर्यकुल पुण्डीर वंश "  .....

Tuesday, 27 September 2016

जल्द प्रकाशित इतिहासिक ग्रंथ

श्री क्षत्रिय राजपूत इतिहास शौध संसथान द्वारा बहोत जल्द प्राचीन व आज तक प्रकाश मे ना आ सके क्षत्रियो के इतिहास पर प्रकाश डाला जाएगा. 

भविष्य मे आने वाले ग्रंथ 
1- " सूर्यकुल पुण्डीर वंश "
2- " अमर वरदान "
3- " इतिहास से हो रही छेड छाड "
4- " प्राचीन क्षत्रिय वंश व राज्य "
5- " विजय युद्ध "     आदी.. 

नोट :- " इतिहास कीइ एसी जानकारी जो आज तक प्रकाशित नही हुइ हो वो संसथान तक पहुचाने कि क्रपा करे... "
                     धन्यावाद! 

" श्री क्षत्रिय राजपूत इतिहास शौध संसथान " उत्तर प्रदेश जिला सहारनपुर ( +91-8445834853  , +91-8755011059 )