Monday, 10 October 2016

विजय दशमी पर धीरसिंह पुण्डीर की प्रतिग्या

जय क्षात्र धर्म !

स्वाभिमान अमर रहे ! 


विक्रमी संवत 1523 नवरात्रो मे दिल्लीपति प्रथ्वीराज चौहान ने " विजयदशमी " पर एक प्रतियोगिता रखने का एलान किया  ! 

प्रतियोगिता मे 7 गज लंबा अष्ट धातु का सतंब जमीन मे गडवादिया  और यह आदेश दिया की जो इस स्तंब को उखाडेगा उसे सर्वश्रेष्ठ योद्धा का खिताब दिया जाएगा  !  विजय दशमी पर प्रतियोगिता शुरू हुइ  वीर चामुॉडराय  , पज्जवन राय  , जैत्र सिंह परमार आदी योद्धाऔ ने अपना बल आजमाया किंतू कामयाब नही हुए  , यह देख प्रथ्वीराज चौहान को चिंता हुइ व अपनी सांग को सतंभ मे गाड दिया  और कहाँ कोइ ये सांग ही निकालदे  , किंतू कोइ वीर यह कार्य भी नही कर सका   , तभी वहा मायापुर( वर्तमान हरिद्वार  , सहारनपुर  ) के महाराज व प्रथ्वीराज के वीर सामंत चांद सिंह पुण्डीर के पुत्र  धीरसिंह पुण्डीर वहा पधारे  , उनहोने यह स्तंब उखाडने की बात करी जिस कारण प्रथ्वीराज चौहान को खुशी हुइ व अपना घोडा धीर सिंह को दिया  !

 
तभी धीर सिंह पुण्डीर घोडे पर स्वार हो सतंब की और गए तभी  सहज भाव सांग सहित सतंब को एक झटके मे उखाड दिया  , यह दैख सभा मे धीर सिंह की जस जय कार होने लगी  , इस कारण इर्षा वश जैत्र परमार धीर सिंह पुण्डीर से चिडने लगा  !

विजयदशमी के दिन धीर सिंह ने मौह्मद गोरी को बंदी बनाने की प्रतिग्या करी व हांसी के युद्ध के बाद 3रे युद्ध मे धीर सिंह अपने साथ 1400 सामंतो को साथ लेकर युद्ध मे प्रतिग्या पूरी करने हेतू सम्मिलित हुए व गोरी को बंदी बनाकर प्रथ्वीराज के चरणो मे ला पटका !

इस युद्ध मे राम राय पुण्डीर  , रघुपुण्डीर समेत 3 सहसत्र पुण्डीर क्षत्रिय वीरगती को प्राप्त हुए !

 विजय दशमी क्षत्रियो के लिए एक गर्व का त्योहार है.... 


Reference :- प्रथ्वीराज रासो  , भाट हस्त लिखीत इतिहास 


" श्री क्षत्रिय राजपूत इतिहास शौध संसथान " , सहारनपुर 
शोधकर्ता :- यश प्रताप सिंह अंब्हैटा चाँद ( कुँवर बिसलदेव के पुण्डीर ) , +91-8755011059

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