जय क्षात्र धर्म !
स्वाभिमान अमर रहे !
विक्रमी संवत 1523 नवरात्रो मे दिल्लीपति प्रथ्वीराज चौहान ने " विजयदशमी " पर एक प्रतियोगिता रखने का एलान किया !
प्रतियोगिता मे 7 गज लंबा अष्ट धातु का सतंब जमीन मे गडवादिया और यह आदेश दिया की जो इस स्तंब को उखाडेगा उसे सर्वश्रेष्ठ योद्धा का खिताब दिया जाएगा ! विजय दशमी पर प्रतियोगिता शुरू हुइ वीर चामुॉडराय , पज्जवन राय , जैत्र सिंह परमार आदी योद्धाऔ ने अपना बल आजमाया किंतू कामयाब नही हुए , यह देख प्रथ्वीराज चौहान को चिंता हुइ व अपनी सांग को सतंभ मे गाड दिया और कहाँ कोइ ये सांग ही निकालदे , किंतू कोइ वीर यह कार्य भी नही कर सका , तभी वहा मायापुर( वर्तमान हरिद्वार , सहारनपुर ) के महाराज व प्रथ्वीराज के वीर सामंत चांद सिंह पुण्डीर के पुत्र धीरसिंह पुण्डीर वहा पधारे , उनहोने यह स्तंब उखाडने की बात करी जिस कारण प्रथ्वीराज चौहान को खुशी हुइ व अपना घोडा धीर सिंह को दिया !
तभी धीर सिंह पुण्डीर घोडे पर स्वार हो सतंब की और गए तभी सहज भाव सांग सहित सतंब को एक झटके मे उखाड दिया , यह दैख सभा मे धीर सिंह की जस जय कार होने लगी , इस कारण इर्षा वश जैत्र परमार धीर सिंह पुण्डीर से चिडने लगा !
विजयदशमी के दिन धीर सिंह ने मौह्मद गोरी को बंदी बनाने की प्रतिग्या करी व हांसी के युद्ध के बाद 3रे युद्ध मे धीर सिंह अपने साथ 1400 सामंतो को साथ लेकर युद्ध मे प्रतिग्या पूरी करने हेतू सम्मिलित हुए व गोरी को बंदी बनाकर प्रथ्वीराज के चरणो मे ला पटका !
इस युद्ध मे राम राय पुण्डीर , रघुपुण्डीर समेत 3 सहसत्र पुण्डीर क्षत्रिय वीरगती को प्राप्त हुए !
विजय दशमी क्षत्रियो के लिए एक गर्व का त्योहार है....
Reference :- प्रथ्वीराज रासो , भाट हस्त लिखीत इतिहास
" श्री क्षत्रिय राजपूत इतिहास शौध संसथान " , सहारनपुर
शोधकर्ता :- यश प्रताप सिंह अंब्हैटा चाँद ( कुँवर बिसलदेव के पुण्डीर ) , +91-8755011059
Jai shree ram
ReplyDeleteजानकारी के लिए साधुवाद ।
ReplyDeleteजानकारी के लिए साधुवाद ।
ReplyDeletejai shree raam
ReplyDelete