जय क्षात्र धर्म जय भवानी.....
आज इतिहास मे बिना कुछ किए खुद को उच्च साबित करने का भरपूर प्रयास हमारे कुछ गुज्जर भाइ कर रहे है... इस कडी मे उनहोने कइ पोसट्स व कुछ पुस्तके भी लिखी जिसमे सम्राट मिहीर भोज , प्रथ्विराज चौहान , बाप्पा रावल , शिवाजी आदी सभी क्षत्रिय यौद्धाऔ को गुर्जर बनानै का प्रयास किया है..!
जबकी यै ही खुद कि सही उतपत्ती खोजने मे असमर्थ है , देखिए गुज्जरो की उतपत्ती उनही कि जुबानी. ..
1- गुर्जर हुणौ के वंशज है .
2- कुषाण भी गुर्जर है.
इतिहास सप्षट बताता है हुण हो या शक. यह सभी घुमंतू कबिले है जो पशुपालन का कार्य करते थे. !
V. M. Smith or Villiams Crooks ने तो गुजरो को साफ साफ श्वेत हुणो से संबंधित बताया है !
अब आशचर्य की बात यह हैवर्तमान के आधुनिक गुज्जर इतिहास प्रेमी खुद को हुण व कुषाण भी मानते है और खुद को क्षत्रिय भी बताने लगे है.. क्या ये संभव है ?
कहाँ हुणौ और कुषाणौ को क्षत्रिय लिखा है ???
गुर्जरो के इतिहासकार डाँ. सुधीर भाटी जी गुर्जरो को हुण से जोडते है वही दूसरी और एक और गुर्जर इतिहासकार डा. के आर गुर्जर महाराज दशरथ को गुर्जर बताकर क्षत्रिय इतिहास का अपमान करते है...
डाँ. सहाब कहते है गुरूतर शब्द का अर्थ गुर्जर है.. वह रामायण का एक श्लोक देते है जिसमे गुरूतर शब्द आया और इसी को गुर्जर शब्द की उतपत्ती मानी :-
" गतो दशरथ स्वर्ग योनो गुरूतरो गुरूव: "
जब्की इसका अगक सही से आकलन करे तो पता चलता है इस श्लोक से गुज्जरो का कोइ संबंध नही , इस श्लोक का सही अर्थ है " दशरथ जी अपने गुरू व गोरव के साथ स्वर्ग को गए "
अब आप बताइए क्या मतलब है एसे झुठै त्थ्यो का ??
डाँ. सी.वी.वैध ने गुर्जपशुपालक तथा क्रषी कर्म करने वाला बताकर वैशय वर्ण से माना है !
बात यह है कि प्राचीन प्राप्त शिलालेखो मे कइ बार गुर्जरान , गुर्जरत्रा , गुर्जेश्वर शब्द आए है , जिस कारण भ्रमित होकर कइयो ने इन शबदो को गुर्जर जाती से जोड लिया , जबकी महान इतिहासकार डाँ. के एम मुंशी जी ने अपनी पुस्तक ' द ग्लोरिज औफ डैट गुर्जर देश ' मे साफ साफ सिद्ध किया है कि ' प्रतिहारो ' ने खुद को कभीअपने आप गुर्जर शब्द का प्रयोग नही किया और यह भी सिद्ध किया है कि प्रतिहार गुर्जर देश के स्वामी होने के कारण इनके विरोधियो ने गुर्जर प्रतिहार परिभाषित कर दिया ! जब इनके शिलालेखो का हम अध्यन्न करते है तो प्रतिहारो के शिलालेखो तथा कन्नोज के प्रतिहारो के शिलालेखो मे यह सप्ष्ट तोर पर बताया है कि अयोध्या के श्री राम के भ्राता लक्ष्मण के वंशज प्रतिहार है ! अभिलेखो मे इतना साभ वर्णन प्रतिहार उतपत्ती का इतना साफ वर्णन किया है पर फिर भी आजकल के कुछ विद्वान हठधर्मी से इनहे गुर्जर ही मानते है...
प्रतिहार वंश कि उतपत्ती मे कही भी गुर्जर शब्द नही आया :-
जोधपुर का शिलालेख
" स्वभ्राता रामभद्रस्य प्रतिहार क्रतं यत:
श्री प्रतिहार वंशजो यमतक्ष्चौन्नति माप्नुयात!! 3,4 !! "
घटियाल अभिलेख
" रहुतिलऔपडिहारो आसीसिर लक्खणोंतिरामस्य
तेण पडिहारवन्सो समुणईएत्थसम्पतो ! "
बताइए उतपत्ती मे ही जब गुर्जर शब्द नही तो क्यु ये जबरन खुद को प्रतुहीरो से जोड प्रसिद्धी पाने मे लगे है ?
भोज प्रतिहार की ग्वालियर प्रशस्ति का अध्यन्न या वि. स. 1030 की विग्रहराज की प्रशस्ति का या औसिया के महावीर मंदिर का लेख पढलो कही भी प्रतिहारो ने खुद के शिलालेखो मे गुर्जर नही लिखा तो ये जबरन इस वंश को गुर्जर बनाने मे लगे है ??
डाँ. के एम मुंशी की मान्यता है कि प्रतिहारो के लिए गुर्जर शब्द का प्रयोग जो राष्ट्रकूट और अरबो ने किया है वह किसी जाती का घोतक नही वह तो इनका गुर्जर देश का निवासी होने का संकेत करता है , औझा ने भी प्रतिहारो को गुर्जर ना मानकर क्षत्रिय कहाँ है !
गुर्जरत्रा ( गुर्जरात) या गुर्जर का अर्थ है क्या ??
गुर्जर एक संसक्रत शब्द है जिसका अर्थ है शत्रु नाशक व गुर्जरत्रा का अर्थ हैं शत्रु नाशको की भुमी !
अब गुर्जर जब खुद को हुण व कुषाण मानते है व है हि तो यह तो भारत के मूल नही थे व ना ही इनका संस्कृत भाषा से कोइ संबंध था ! हुणो का बहोत बडा कबिला गब गुर्जरत्रा पर निवास करने लगा तो यहाँ से निकासी के बाद गुर्जर कहलाया , वर्तमान मे हाडोती ( राजस्थान) व अन्य जगहो पर गुर्जरो के गाँव है जहाँ हुण गोत्र भी मिलता हैं
..
महारष्ट्र मे गुर्जर नाइ , गुर्जर दर्जी , गुर्जर ब्रह्माण निवास करते है , जो जाती से गुर्जर नही अपितु उनके पुर्वज गुर्जरत्रा से वहा गए इसि तरह हुणो का यह घुमंतू चरवाहो का झुंड जब प्रतिहार राजपूतो ने भगाया तब ये बहार आकर गुर्जर कहलाए व धीरे धीरे गुज्जर , गुजर आदी..ncert कि पुस्तके इनहे ' घुमंतू चरवाहा ( gujar bakarwals) ' लिखते है
|
वर्तमाम मे प्रतिहारो के वंशज क्षत्रिय है गुर्जर नही व प्रतिहारो की रियासत भी क्षत्रियो के पास है न कि गुज्जरो के पास....
----------- अगले भाग मे ओर एसी जानकारी दि जाएगी जो यह साबित करेगी कि गुजजरो का क्षत्रियो से कोइ संबंध नही , संबंध है तो वर्ण शंकरता का केवल ----------
-- धन्यावाद !
-- धन्यावाद !
Bdhiya
ReplyDeleteउत्तम प्रकाशन
ReplyDeleteMewad ke maharana pratap ka nam garv se lete ho why
DeleteTheek se likhna sikh itihaas chor randput
DeleteGujjarirandioo ke aulad..dhang me bol ..r ek panna dhai ki wjh s to tmhari ijjat v hi thodi wrna tum kya or kaha s ho sbko pta hi
DeleteTabhi jodha ko becha tha muglo ko darpok kom haaaaaaa
Deleteisliye tum kshtriya nahi ho, galiya dene waale ganvar
DeleteBhn k lode rajput teri maa ki chut gurajro k aage partihar lga kukui unone raksh ki hai is desh ki
Deleteअरे तेरी बहिन के चोदाव बाप दादा मरी गई ठाकुरण के गुलामी करत ओंका याद नाही आइस इतिहास आपन आज व्हाट्सएप फेसबुक चली गा तो भोसडीके इतिहास पढ़ लिया
DeleteNyceee
ReplyDeletebohat badiya kunwar yash ji
ReplyDeleteगुर्जरो का इतिहास जानना है तो मिल ले हम बतायगे गुर्जरो का इतिहास क्या है
ReplyDeleteBilkul milnge... Kab milna h
DeleteWaise mujhe aap dono k beech bolna to nhi chaiye lekin pundeero k upar baat ayi h to bata du....yae baat aapko shobha nhi daeti kyuki RAJPUT aur gujjars dono nae hi Sanantan dharm ki rakhsha k liye balidaan diya hae ....pehli baat ....doosri baat ab mere bade bhai ravi kumar ji nae akkrosh mae akkr jo bola wo accha nhi lga ki milkr gujjaro ka itihaas batyenge...uske liye bta du saharanpur aur aas paas kae chote mote gao mae jo gujjar base the unke pundeer Rajputo nae bahot asani sae waha sae khadeed kr gujjaro ko nasle naboot krdiya tha maaf kariyega is bhasha ka upyog karna to nhi chaiye mujhe pr aapki basha dekhte hue aisa kaha....gujjars ka itihaas hae to RAJPUTO KA ITIHAAS TBSE HAE ...jb gujjaro ka naam aur nishaan bhi nhi tha....hum pundeer suryavanshi Vansh sae hae bhagwaan ram k vanshaj....humse humara itihaas puuchne ki galti na kre dobara....
DeleteJai gujjar
Jai RAJPUTANA....
Aise log jaatiwad se bahar hi Nahi aa pate
DeleteAise log jaatiwad se bahar hi Nahi aa pate
DeleteAise log jaatiwad se bahar hi Nahi aa pate
DeleteRajput koi caste Nahi Hoti ,
DeleteBharmmaha Ka Mandir , puskar main , he married to gujjari , and gujjari Mandir is Der at puskar
DeleteAk bap ki aulad hi to mil
Deleteतुम लोग ये ही साबित कर के दिखा दो क्षत्रिय कौन सी जाति है । और जब गुर्जर नाम उनके आगे स्थानवाचक k तौर पर है तो क्यों चूतड़ों मैं पतंगे लगे फिर रहे है इन भेड़ चरवाहों के, आज़ तक तुम लोग सरकार को नहीं समझा सके की तुम हो किन में से । 75 साल हो गए । कोई sc,St,gen,obc सबकुछ तुम्हे ही चाहिए ।।
Deleteक्षत्रिय कोई जाति है या क्या है ?
ReplyDeleteयश पुंडीर जी बताइए जरा
इसका उल्लेख कहां से शुरू होता है ये भी बताइए
tarunpanwar92@gmail.com
Gurjar jati veer nhi hai to rajput jati me pahle bete ke janam lene vale ko gurjari ka dudh Q playa jata hai
Deleteकर्नल जेम्स टॉड के अनुसार राजस्थान का पुराना नाम गुर्जरत्रा था जिसे बाद में उन्ही के द्वारा बदल कर राजपुताना किया गया , उनका कहना था कि इस विशाल रेतीले प्रदेश पर राजपूतों के कोई शिलालेख या अभिलेख नही मिले परंतु गुर्जरो के शिलालेखों व अभिलेखों की भरमार है ।
DeleteYo dekho rajputo james tumhara baap tha gurjaro ka naammitana chahta tha pr tumhari poole khol gya iska sabut mat magna ki tumhara baap na tha warna pahtaoge
कर्नल टॉड इन्ही मुगलपुतो और अंग्रेज़ो का चेला था । जैसा इन्होंने उससे लिखवाया वैसा ही वो लिखता चला गया
Deleteक्षत्रिय कोई जाति है या क्या है ?
ReplyDeleteयश पुंडीर जी बताइए जरा
इसका उल्लेख कहां से शुरू होता है ये भी बताइए
tarunpanwar92@gmail.com
छत्रियों में कौनसी कौनसी जाति आती है ,मालूम है क्या पंडित जी,राजपूत कौन थे ये पता है ? राजपूतों की उत्पत्ति कहाँ से है ?
ReplyDeleteRajput aur gujjar me koi connection nahi hai aur gujjar safed hun jo 6th century me hi india aaye ab akoi aaye aur aate ke sath samrajya sthapit kar de ye kahan hota hai.koi kahin aata hai to pahle wahan basta hai fir dheere dheere majbot hota hai fir raj banata hai
DeleteKshatriya me rathore se bhi koi lena dena nhi h ye bhi bad me aaye h
DeleteAap jara rashtrakut aur palo ke inscription padh lo unhone pratiharo ko apne sabhi shilalekho mein gurjar likha hai… Arab yatriyo ke lekh padho unhone bhi gurjar likha hai….. Kahin bhi rajput shabd hai hi nhi….. Jara rajaour shilalekh padho saaf tor par gurjar likha hai…. Ye toh ho gaye unke gurjar hone ke praman…rajput kounse shilalekh mein likha hai inko…..jara apne rajputo ko ye toh batayo?? Aur aapse kisne bol diya gurjar kshatriya nhi hai zara kisi apne brahman se hi puch lena gurjar kaun hai….ye logo ko kyu pagal bana rahe ho….. Gauri shankar ojha Udaipur state ke history department ka adhaksh tha aur udaipur state rajputo ki hai toh wo bechara kaise apne maliko ki burai karta…. Aur gauri shankar ojha colonel Tod ko apna guru manta tha aur colonel Tod ne aapke baare mein kya kya likha hai zara wo bhi toh apne rajput bhaiyo ko batayo?? Phir colonel Tod ne bhi sahi likha hai tumhare baare mein……. Aur pramaan do ke pratihar rajput thae gurjar nhi……lekh nhi chahiye shilalekh OK Silalekh chahiye samjhe…..
ReplyDeleteGUJJAR TANWAR KING OF DELHI
colonel tod ne kahin nahi k=likha ki gujjar aur gurjar ek hai wo samrajya gurjar pratiharon ka tha. pratihar gurjar naresh the kyunki wo gurjardesh ko jite the aur fir uspe raj kiya tha. gujar jati alag hai aur gurjar pratihar alag hai aur pratihar gotra rajputon ka hai
DeleteO bhai gurjar aur gujjar same hote ha gujjar word prakrtik form ha sanskrit word gurjar ki jese brahman ki bhaman aur rajputra ki rajput ye sab prakrtik form hoti ha apne sanskrit shabdo ki vese pak me rajput rajpoot bole jate ha ab unko bhi alag btade
DeleteGurjar shabd gurjaradesh pe raj akrne ke karan hua baki gujar jati gauchar kahi jati thi wahan se gujar bane
DeleteParihar gotra gujjar mein bhi hai
DeleteAbe bhoshdike Delhi ke tanwar ya tomar rajput the na ki gujjar
DeleteTu bhi unhi tanwar rajput ki gujjar rakhailon ki najayaa aaulad h
Bhoshdikon ithihas padh pahle anangpal tomar ka tum gujjar harami gay bhains charao or churao
Tumhara koi ithihas hi nahin h
Jaake apne Rao bhat se pata Kar lo ki kiss rajput ki najyas Randi aaulad ho
Ithihas padh lo madarchodo
Teri ma ki choot bahan ke lode kishan rathod landput ho tum apni bahan betiyo ko muglo ke sath chudbaya he tumne aur tum rana maharana karte ho to ma pannadhay gurjari nahi hoti to maharana hota kya ma pannadhay gurjari ne maharana ko dudh pilaya he tabhi to bo itna takatwar tha gurjari ke dudh ki takat he ye
Deletepheli baat to aap ye bataye ki akstirye koi jaati nhi hoti vha ek varn h jisme gurjar jaat yadav maratha aate h sabse badi bhul yahi to h aapki ki aap ise jaati maante ho isliye jo bho akstirye hota h use rajput btadeto ho is baat se koi samt ho hi nhi sakta or ha kuch etihaskar aap ko huno ,kusano,ki olad manate h is bare m aap kya khoge harivansh puran padiye or ha nilkund,or bhitse abh8lekho me partiharo ko ispst rup se gurjar jati ka likha h or ha rastkut saskune samrat mahipal ko apne abhilek me dhadta gurjar likha h jb unhone use dhadta gurjar hi likh diya to phir kya rh gaya or aapke hisab se iska arth mahipal dahadta chetr hoga kya yaha uchit h khali km monsi ne yaha bhi likha h ki 6ti satabdi se likr 12vi satabdi ka kal gurjar kal h ne k8 rajput or unhe sarkar se yaha mang bhi ki thi ki yha pathyakarm me sahi hona chahiye ok
Deleteपं बालकृष्ण गौड लिखते है कि जिसको कहते है रजपूति इतिहास
ReplyDeleteतेरहवीं सदी से पहले इसकी कही जिक्र तक नही है और कोई एक भी ऐसा शिलालेख दिखादो जिसमे रजपूत शब्द का नाम तक भी लिखा हो। लेकिन गुर्जर शब्द की भरमार है, अनेक शिलालेख तामपत्र है, अपार लेख है, काव्य, साहित्य, भग्न खन्डहरो मे गुर्जर संसकृति के सार गुंजते है ।अत: गुर्जर इतिहास को राजपूत इतिहास बनाने की ढेरो सफल-नाकाम कोशिशे कि गई।
कविवर बालकृष्ण शर्मा लिखते है :
चौहान पृथ्वीराज तुम क्यो सो गए बेखबर होकर ।
घर के जयचंदो के सर काट लेते सब्र खोकर ॥
माँ भारती के भाल पर ना दासता का दाग होता ।
संतति चौहान, गुर्जर ना छूपते यूँ मायूस होकर ॥
: कर्नल जेम्स टोड कहते है कि राजपूताना कहलाने वाले इस विशाल रेतीले प्रदेश अर्थात राजस्थान में, पुराने जमाने में राजपूत जाति का कोई चिन्ह नहीं मिलता परंतु मुझे सिंह समान गर्जने वाले गुर्जरों के शिलालेख मिलते हैं।
• प्राचीन काल से राजस्थान व गुर्जरात का नाम गुर्जरात्रा (गुर्जरदेश, गुर्जराष्ट्र) था जो अंग्रेजी शासन मे गुर्जरदेश से बदलकर राजपूताना रखा गया ।
6th century se 14th century tak Rajput period thaa...anpadhoo padho thoda
Deleteहसि आती है भाई। अंग्रेजो ने राजपुताना नाम रखा। कोनसा इतिहास पढ़ लिया।
Deleteगुर्जर प्रतिहार फोर फादर ऑफ़ राजपूत
ReplyDeleteगुर्जर प्रतिहार राजपूत कबीले के पूर्व पिता हैं
Gurajr Pratiharas are the fore father of rajput clan
इतिहासकार सर जर्वाइज़ एथेलस्टेन बैनेस ने गुर्जर को सिसोदियास, चौहान, परमार, परिहार, चालुक्य और राजपूत के पूर्वज थे।
गुर्जर लेखक के एम मुंशी ने कहा कि प्रतिहार, परमार और सोलंकी शाही गुज्जर वंश के थे।
विन्सेंट स्मिथ का मानना था कि गुर्जर वंश, जिसने 4 वीं से 11 वीं शताब्दी तक उत्तरी भारत में एक बड़े साम्राज्य पर शासन किया था, और शिलालेख में "गुर्जर-प्रतिहार" के रूप में उल्लेख किया गया है, निश्चित रूप से गुर्जरा मूल का था।
स्मिथ ने यह भी कहा कि अन्य उत्पनीला क्षत्रिय कुलों की उत्पत्ति होने की संभावना है।
डॉ के। जमानदास यह भी कहते हैं कि प्रतिहार वंश गुर्जरों से निकला है, और यह "एक मजबूत धारणा उठाता है कि अन्य राजपूत समूह भी गुर्जरा या संबद्ध विदेशी आप्रवासियों के वंशज हैं।
डॉ० आर० भण्डारकर प्रतिहारों की गुर्जरों से उत्पत्ति मानते हुए अन्य अग्निवंशीय राजपूतों को भी विदेशी उत्पत्ति का कहते हैं।
नीलकण्ठ शास्री विदेशियों के अग्नि द्वारा पवित्रीकरण के सिद्धान्त में विश्वास करते हैं क्योंकि पृथ्वीराज रासो से पूर्व भी इसका प्रमाण तमिल काव्य 'पुरनानूर' में मिलता है। बागची गुर्जरों को मध्य एशिया की जाति वुसुन अथवा 'गुसुर 'मानते हैं क्योंकि तीसरी शताब्दी के अबोटाबाद - लेख में 'गुशुर 'जाति का उल्लेख है।
जैकेसन ने सर्वप्रथम गुर्जरों से अग्निवंशी राजपूतों की उत्पत्ति बतलाई है। पंजाब तथा खानदेश के गुर्जरों के उपनाम पँवार तथा चौहान पाये जाते हैं। यदि प्रतिहार व सोलंकी स्वयं गुर्जर न भी हों तो वे उस विदेशी दल में भारत आये जिसका नेतृत्व गुर्जर कर रहे थे।
Gurajr Pratiharas are the fore father of rajput clan
राजपूत गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य के सामंत थेIगुर्जर-साम्राज्य के पतन के बाद इन लोगों ने स्वतंत्र राज्य स्थापित किएI
shilalekha se bada koi proof nh 💪
नीलकुण्ड, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है।
राजौर शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है।। बादामी के चालुक्य नरेश पुलकेशियन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख आभिलेखिक रूप से सर्वप्रथम रूप से हुआ है।
गुर्जर जाति का एक शिलालेख राजोरगढ़ (अलवर जिला) में प्राप्त हुआ है
)। मार्कंदई पुराण और पंचतंत्र में, गुर्जर जनजाति का एक संदर्भ है।
समकालीन अरब यात्री सुलेमान ने गुजरर सम्राट मिहिरभोज को भारत में इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन करार दिया गया था, क्योंकि गुर्जर राजाओं ने 10 वीं सदी तक इस्लाम को भारत में घुसने नहीं दिया था। मिहिरभोज के पौत्र महिपाल को आर्यवृत्त का महान सम्राट कहा जाता था। गुर्जर संभवतः हुनों और कुषाणों की नई पहचान थीं तो हुनों गुर्जरों हिन्दू धर्म और संस्कृति के संरक्षण और विकास में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इस कारण से सम्राट मिहिरकुलहुन और सम्राट मिहिरभोज सम्राट अशोक से भी महान थे।
मेहरौली, जिसे पहले मिहिरावाली के नाम से जाना जाता था, का मतलब मिहिर का घर, गुर्जर-प्रतिहार वंश के राजा मिहिर भोज द्वारा स्थापित किया गया था।
मेहरौली उन सात प्राचीन शहरों में से एक है जो दिल्ली की वर्तमान स्थिति बनाते हैं। लाल कोट किला का निर्माण गुर्जर तनवार प्रमुख अंंगपाल प्रथम द्वारा 731 के आसपास किया गया था और 11 वीं शताब्दी में अनांगपाल द्वितीय द्वारा विस्तारित किया गया था, जिसने अपनी राजधानी को कन्नौज से लाल कोट में स्थानांतरित कर दिया था। गुर्जर तनवार 12 वीं शताब्दी में चौहानों द्वारा पराजित हुए थे। पृथ्वीराज चौहान ने किले का विस्तार किया और इसे किला राय पिथोरा कहा। उन्हें 11 9 2 में मोहम्मद घोरी ने पराजित किया, जिन्होंने अपना सामान्य कुतुब-उद-दीन अयबाक को प्रभारी बना दिया और अफगानिस्तान लौट आया।.................
इतिहासकार डॉ ऑगस्टस होर्नले का मानना है कि तोमर गुर्जरा (या गुज्जर) के शासक वंश में से एक थे।
राम सरप जून लिखते हैं कि ... गुजराती इतिहास के लेखक अब्दुल मलिक मशर्मल लिखते हैं कि गुजर इतिहास के लेखक जनरल सर ए कनिंघम के अनुसार, कानाउज के शासकों गुजर (गुजर पी -213 का इतिहास) 218)। उनका गोत्रा तोमर था और वे हुन चीफ टोरमन के वंशज हैं।
गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य अनेक भागों में विभक्त था। ये भाग सामन्तों द्वारा शासित किये जाते थे। इनमें से मुख्य भागों के नाम थे:
शाकम्भरी (सांभर) के चाहमान (चौहान)
दिल्ली के तौमर
मंडोर के गुर्जर प्रतिहार
बुन्देलखण्ड के कलचुरि
मालवा के परमार
मेदपाट (मेवाड़) के गुहिल
महोवा-कालिजंर के चन्देल
सौराष्ट्र के चालुक्य
Soo baat ki ek baat bolunga tanwar ji.....mae Suryavanshi Rajput hu jb humare poowajo nae ksatriya samaaj ki sthapana ki thi...tb gujjaro ka naam aur neeshaan nhi tha....mae PUNDIR RAJPUT HU bhagwaan SRI RAM K Vanshaj ....aur RAJPUT hume upadhi di gyi hae....
Deleteब्रह्मवैवर्त पुराण के गणपति खंड में गुर्जर जाति का श्री परशुराम भगवान से युद्ध
DeletePad lena bewkoof Puraano mai Gurjar or Gurjar jati
Or tm Rajput jaati ka aj tk ek shilalekha nh mila h puri history
13th centry se phele Rajput word nh milta h
Gurjar father of Rajput
DeleteBete tum gay bhains charao or churate the
DeleteOr jaake apne baap ke baare me pata karle kiss Randi ki aaulad h
tamij h tumhe ya nhi kya ese hi rajput hote h bhul gaye ma pannadaye gurjari ka balidan jiski badolat aaj tumara vajud h gali m bhi de sakta hu likin yaha hamare sanskar nhi h
DeleteRajput 13th centry se phele word nh tha to ye kon the kha se aye koi ek sirf ek shilalekha nh hai jhat rajput word ya rajput koi jaati thi kisi ek shilalekha par likha ho kuch nh hai hai 😂😂😂😂😂😂
ReplyDeleteShilalekha par likha hae bs...kehna bahot asaan hae waise bn nhi sakte kam sae kam izzat to kar hi sakte hae aap....aggar yae RAJPUT na hote to aaj aap islam dharm kabool kar pooja nhi nawaaz kar rhe hote....respect kre....mazzak nhi
DeleteBewkook phele thang se pad Suleman 9th century mai kya kheta h usne kha ki Gurjar jaati raja islam or Musalmano ke sbse bade dushman h
DeleteAgar Gurjar na hote to Musalman 300 saal phele bharat ko jeet lete
Or jb tm 13th centry ke Rajput word aya to tm Rajputo ne bs muslim or mugalo ke Talwe chate the bhul gye
गौडेंद्रवंगपतिनिर्ज्जयदुर्व्विदग्धसदगुर्ज्जरेश्वरदिगर्ग्गलतां च यस्य।
Deleteनीत्वा भुजं विहतमालवरक्षणार्त्थ स्वामी तथान्यमपि राज्यछ(फ) लानि भुंक्ते।।
-बडोदे का दानपत्र,Indian Antiquary,Vol 12,Page 160
उक्त ताम्रपत्र के 'गुजरेश्वर' एद का अर्थ 'गुर्जर देश(गुजरात) का राजा' स्पष्ट है,जिसे खिंच तानकर गुर्जर जाती या वंश का राजा मानना सर्वथा असंगत है। संस्कृत साहित्य में कई ऐसे उदाहरण मिलते है।
ये लेख गुजरेश्वर,गुर्जरात्र,गुज्जुर इन संज्ञाओ का सही मायने में अर्थ कर इसे जाती सूचक नहीं स्थान सूचक सिद्ध करता है जिससे भगवान्लाल इन्द्रजी,देवदत्त रामकृष्ण भंडारकर,जैक्सन तथा अन्य सभी विद्वानों के मतों को खारिज करता है जो इस सज्ञा के उपयोग से प्रतिहारो को गुर्जर मानते है।
११) कुशनवंशी राजा कनिष्क के समय में गुर्जरों का भारतवर्ष में आना प्रमाणशून्य बात है,जिसे स्वयं डॉ.भगवानलाल इन्द्रजी ने स्वीकार किया है,और गुप्तवंशियों के समय में गुजरो को राजपूताना,गुजरात और मालवे में जागीर मिलने के विषय में कोई प्रमाण नहीं दिया है। न तो गुप्त राजाओं के लेखो और भडौच से मिले दानपत्रों में इसका कही उल्लेख है।
ye to story banate hi aap jatiyo ke name pr chetrna name pdte h jese abhi ka example lelo jese jatpur or gurjarpur village ka name h to aap jake dekh lena us gao me aap ko jaat or gurjar jati ke log milenge n ki koi hor jati ke samja bhai khali story mt bnao sb samjte h ye baat or ha abhilekho se yaha bharam bhi dur ho jata h aapka kyuki abhilekho me unhe espst gurjar likha gya h vastvikta yaha h ki rajputo ki utpti gurjaro se hi huyi h yahi sach h aap mano ya na mano
Deleteha tm rajputo khoge ki partihar lga hai uske sth to wo ek upaadhi thi or uska proof bhi pad le or check kr wa lena sanskrit or hindi dono mai hai
ReplyDeleteवीर गुर्जर - प्रतिहार राजाओ के ऐतिहासिक अभिलैख प्रमाण
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1. सज्जन ताम्रपत्र (871 ई. ) :---
अमोघ वर्ष शक सम्वत
793 ( 871 ई . ) का
सज्जन ताम्र पञ ) :---- I
इस ताम्रपत्र अभिलेख मे लिखा है। कि राष्ट्र कूट शासक दन्तिदुर्ग ने 754 ई. मे "हिरण्य - गर्भ - महादान " नामक यज्ञ किया तो इस शुभ अवसर पर गुर्जर आदि राजाओ ने यज्ञ की सफलता पूर्वक सचालन हेतु यज्ञ रक्षक ( प्रतिहार ) का कार्य किया । ( अर्थात यज्ञ रक्षक प्रतिहारी का कार्य किया )
( " हिरणय गर्भ राज्यनै रुज्जयन्यां यदसितमा प्रतिहारी कृतं येन गुर्जरेशादि राजकम " )
{ सन्दर्भ :--एपिग्राफिक इडिका -- 18 , पृष्ठ 235 , 243 - 257 }
☝☝☝☝☝☝pad lo dhyan se sanskrit mai hai 8th century ka hai or ab thang se bola kro dusre samaj ke liye or bhi proof hai 8th century ke dekh lo
2. सिरूर शिलालेख ( :----
यह शिलालेख गोविन्द - III के गुर्जर नागभट्ट - II एवम राजा चन्द्र कै साथ हुए युद्ध के सम्बन्ध मे यह अभिलेख है । जिसमे " गुर्जरान " गुर्जर राजाओ, गुर्जर सेनिको , गुर्जर जाति एवम गुर्जर राज्य सभी का बोध कराता है।
( केरल-मालव-सोराषट्रानस गुर्जरान )
{ सन्दर्भ :- उज्जयिनी का इतिहास एवम पुरातत्व - दीक्षित - पृष्ठ - 181 }
3. बडोदा ताम्रपत्र ( 811 ई.) :---
कर्क राज का बडोदा ताम्रपत्र शक स. 734 ( 811-812 ई ) इस अभिलेख मे गुर्जरैश्वर नागभट्ट - II का उल्लेख है ।
( गोडेन्द्र वगपति निर्जय दुविदग्ध सद गुर्जरैश्वर -दि गर्गलताम च यस्या नीतवा भुजं विहत मालव रक्षणार्थ स्वामी तथान्य राज्यदद फलानी भुडक्तै" )
{ सन्दर्भ :- इडियन एन्टी. भाग -12 पृष्ठ - 156-160 }
4. बगुम्रा-ताम्रपत्र ( 915 ई. )
इन्द्र - तृतीय का बगुम्रा -ताम्र पत्र शक सं. 837 ( 915 ई )
का अभिलेख मे गुर्जर सम्राट महेन्द्र पाल या महिपाल को दहाड़ता गुर्जर ( गर्जदै गुर्जर - गरजने वाला गुर्जर ) कहा गया है ।
( धारासारिणिसेन्द्र चापवलयै यस्येत्थमब्दागमे । गर्जदै - गुर्जर -सगर-व्यतिकरे जीणो जनारांसति।)
{ सन्दर्भ :-
1. बम्बई गजेटियर, भाग -1 पृष्ट - 128, नोट -4
2. उज्जयिनी इतिहास तथा पुरातत्व, दीक्षित - पृष्ठ - 184 -185 }
5. खुजराहो अभिलेख ( 954 ई. ) :----
चन्दैल धगं का वि. स . 1011 ( 954 ई ) का खुजराहो शिलालैख सख्या -2 मे चन्देल राजा को मरु-सज्वरो गुर्जराणाम के विशेषण से सम्बोधित किया है ।
( मरू-सज्वरो गुर्जराणाम )
{ एपिग्राफिक इडिका - 1 पृष्ठ -112- 116 }
6. गोहखा अभिलेख :--
चैदिराजा कर्ण का गोहखा अभिलैख मे गुर्जर राजा को चेदीराजालक्ष्मणराजदैव दवारा पराजित करने का उल्लेख किया गया हे ।
( बगांल भगं निपुण परिभूत पाण्डयो लाटेरा लुण्ठन पटुज्जिर्जत गुज्जॆरेन्द्र ।
काश्मीर वीर मुकुटाचित पादपीठ स्तेषु क्रमाद जनि लक्ष्मणराजदैव )
{ सन्दर्भ :- 1. एपिग्राफिक इडिका - 11 - पृष्ठ - 142
2. कार्पस जिल्द - 4 पृष्ठ -256, श्लोक - 8 }
7. बादाल स्तम्भ लैख:--
नारायण पाल का बादाल सत्म्भ लैख के श्लोक संख्या 13 के अनुसार गुर्जर राजा राम भद्रदैव ( गुर्जर - नाथ) के समय दैवपाल ने गुर्जर- प्रतिहार के कुछ प्रदेश पर अधिकार कर लिया था ।
( उत्कीलितोत्कल कुलम हत हूण गर्व खव्वीकृत द्रविड गुर्जर-नाथ दप्पर्म )
{ सन्दर्भ :--एपिग्राफिक इडिका - 2 पृष्ठ - 160 - श्लोक - 13 }
8. राजोरगढ अभिलेख ( 960 ई. ) :--
गुजॆर राजा मथन दैव का वि. स. ( 960 ई ) का राजोर गढ ( राज्यपुर ) अभिलेख मे महाराज सावट के पुत्र गुर्जर प्रतिहार मथनदैव को गुर्जर वंश शिरोमणी तथा समस्त जोतने योग्य भूमि गुर्जर किसानो के अधीन उल्लेखित है ।
( श्री राज्यपुराव सिथ्तो महाराजाधिराज परमैश्वर श्री मथनदैवो महाराजाधिरात श्री सावट सूनुग्गुज्जॆर प्रतिहारान्वय ...... स्तथैवैतत्प्रतयासन्न श्री गुज्जॆर वाहित समस्त क्षैत्र समेतश्च )
नीलकुण्ड, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है।
ReplyDeletethank u bhai ji hamare samaj ke sabhi yuvao ko aap jesa gyan hona chahiye samaj ke bare m
DeleteMera Naam Narendra Patil Gurjar hai, call karna please 9960009909
DeleteJay gurjar
ReplyDeleteजो यह ब्राह्मण बता रहे है जो गलत है कि वह इस बात को ।गलत।बतायागया है
ReplyDelete9667127345
ReplyDeleteजो यह ब्राह्मण बता रहा है ईश मे।।बर्माण की भी।बूधीनही है बम्पारावल केजोवन्शज।है।वो।गूज्जर।है।उत्तरप्रदेश।मे।वो।बोलरहाहै।की।पहले।राजवशं।को।राजपूत।बो।ला।गया।या राजपूत जाति।नहि।हैजेशेराजनेताजेशेअभीनेतायेबताओ।।।।।आपरजपूतीकीऐकभी।शिला।लेक।बता।दो।गूज्जरर्पतिहारकीभरमार।है
ReplyDelete1.
ReplyDeleteगुर्जरः(एकवचन) गुर्जरौः (द्विवचन) गुर्जराः (बहुवचन)
यानि ये जाति सूचक है स्थान सूचक नहीं। गुर्जरा
2.गोचर /गुर्जर /ग्वाला--ने मेवाड़ वंश की स्थापना की।
3.राजपूतों के पास कोई सबूत नहीं हैं
4.गुर्जरों के पास सबूतों की कमी नहीं हैं।
5.गुर्जर सम्राट, गुर्जर देश, गुर्जर भाषा,
Jai Gurjar pratihar jai gurjar
Deleteगुर्जर----की व्याख्या करने वाले को पहले यह पता करना चाहिए।कि राजपूतों की उतपत्ति कैसे हुई?
ReplyDeleteवे किस की संतान हैं इतिहासकार अभी तक कंफ्यूज हैं।
जो यह ब्राह्मण बता रहा है कि राजपूतों से गुजर निकली हुई है गुर्जरों से राजपूत निकली हुई है इसको पता नहीं है ब्राह्मण यह ब्राह्मण पागल हो गया तो की सबसे पहले गुजर जाती आई थी बाद में राजा का प्रथम राजवंश पुत्र कहलाया तथा बाद में धीरे-धीरे राजपूत हो गए 12 वीं सदी से पहले कोई राजपूत नहीं था क्योंकि गुजरिया सी जाती है राजा क्योंकि पृथ्वीराज रासो में पृथ्वीराज चौहान गुर्जर वंश से थे वह कोई राजपूत नहीं था अरे जो भी राज करता है उसको भी यह राजपूत अपने बाप बना लेते हैं इसकी जात का तो का तो अता पता ही नहीं है यहां आ गए राजपूतों की उत्पत्ति बताने
ReplyDelete1.क्षत्रिय एक वर्ण है(यानि युद्धप्रिय जातियों का समूह)
ReplyDelete2.क्षत्रिय जातियां हैं --गुर्जर,यादव,जाट,राजपूत,मराठा ।
Bhaichara Bna lo Gurjar Rajput jaat Yadav
Deleteब्रह्मवैवर्त पुराण के गणपति खंड में गुर्जर जाति का श्री परशुराम भगवान से युद्ध
ReplyDeleteब्रह्मवैवर्त पुराण के ब्रह्म खण्ड में एक श्लोक है -
ReplyDeleteक्षत्रात्करणकन्यायां राजपुत्रो बभूव ह”
अर्थात् क्षत्रिय पुरुष से करण कन्या में जो पुत्र पैदा होवे उसे राजपूत कहते हैं।
वैश्य पुरुष और शूद्र कन्या से उत्पन्न हुए को करण कहते हैं और ऐसी करण कन्या से क्षत्रिय के सम्बन्ध से राजपुत्र (राजपूत) पैदा हुआ।
सुप्रसिद्ध इतिहासज्ञ व संस्कृत के विद्वान् पं० चिन्तामणि विनायक वैद्य के मतानुसार ई० सन् 800 से 1100 के बीच राजपुत्र बने हैं।
प्राचीन ग्रन्थों में न तो राजपूत जाति का उल्लेख है और न राजपूताने* का।
पृथ्वीराज चौहान यदि राजपूत था तो राजपूतों ने उसकी मदद क्यों नहीं की ।
ReplyDeleteमहाराणा सांगा यदि राजपूत था तो क्यों उसे सामन्तों ने मिलकर जहर दिया ।
पृथ्वीराज चौहान यदि गुर्जर थे तो उसकी अस्थी राजपूतो को लाने कि चिंता क्यो हुई और क्यो लाया ?गुर्जरो में क्या शक्ति नही थी ।
Deleteगुर्जर जाति मुगलो मे भी होती है इतने ही वीर थे तो इस्लाम क्यो स्वीकारा तुम गुर्जर इतने सक्षम थे तो राजपूतो के महलो में दासी बनकर क्यो रहते थे ?इतने सक्षम थे तो आरक्षण लेने की जरूरत क्यो पडी
Jodha ko kon le gya tha vo bhi bta na
Deletearaksan genral valo ko bhi mila h 10% kyu liya timne or ha me aapko bta du ki kuch state me rajput sc st me aate h search krle jake itihas or araksan ka kya sambnd h mtlb kuch bhi hamne lagatar angrejo ke kilaf gorila war kiye or angrejo ne pure ke pure gao pr golia chalvadi kon bhul sakta h gurjaro ka balidan
Deleteआप सब जिज्ञासू अध्यनरत महानुभावों के विचार जानने का अवसर मिला! बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteमहानुभावों मैं गुर्जर कुल में डेढ़ाओं की पहचान पर मनन कर रहा हूँ,, अगर कोई महानुभाव मेरा मार्गदर्शन कर सके कि- डेढ़ा गुर्जरों के पूर्वज की पहचान क्या है।
580 ई. से 734 ई. तक भड़ोच (गुजरात ) का दद्दा वंश ही तो डेढ़ाओं का पूर्वज नहीं हैं?
कृपया मेरा मार्गदर्शन करें🙏🏼
Pehali baat toh yah hai ki me maharaMahar ka rehne vala hoo,aur hum gurjaro me na nhaiii,na sutaar ,na lohaar gurja r lagate hai aaur me khud chauhan gotra ka hoo ab batao,,kabhi maharaMaharaakar dekho tab pta chalega aasihi afvaah saharnpur ke klasyaan (chauhan) no ke baare me batate hai ki voh 84 gaav rajputonke hai pr asliyat me vaha jaao aur dekhna ki voh sab gurjar haiaur ek baat hum kat gaye lekin aapani behan betiyonko muglo ke havale nhi kiya ,,,jay Gujjar
ReplyDeleteGreat bhai
Deleteगुर्जरो को अपनी बहन बेटियो को देने की जरूरत क्यो पडेगी मुगलो को क्योकि मुगल फिरोजशाह तुगलक ने उनके लिए पहले गुजरी महल बनाकर रख चुका था जहां बिना शादी के सबकुछ होता था
Deleteme khud chauhan gurjar ho or shamli me hamare 84 gao h or ham hariraj chauhan ke vansaj h bhato ki vanasavali me yaha espst h
Deleteye koi ittefaq nahi hai ki ek jagh ka naam gurjar hai aur usi naam ki ek jaati bhi exist krti hai gurjar . gurjaro ke naam pe aur bhi kyi jaghao ke naam rakhe gye hai pakistan me bhi kafi cities ke naam gurjaro ke upar rakhe gye hai ab yah koi ittefaq to nhi ho sakta. me yeh nahi kah raha ki parthihar gurjar jati se thee shayad gurjar us samay koi tittle tha jo us samay rulling dynasty ko diya jata hoga kisi particular region me jo ki us samay rajasthan and gujrat they aur is baat ke parmaan bhi hai. gujrat me 5th century ke aas pass ek dynasty thi jisko gurjars of lata ke naam se jaana jata tha. to conclusion yeh hai ki gurjar ya to ek tittle tha ya jagah ka naam jese hum gurjardesh khtey they us samay ke shatriya rajao ko yeh tittle diya jata tha. aur kuch logo ne iss identitty ko apna liya aur aaj vo log gurjar kehlate hai . thik ise parkaar rajput bhi ek identity thi jo ki 12th century me aayi thi north part of india specially rajasthan,gujrat and madhya pardesh ke region me jo ki uss time shatriyo ko yeh uppadhi se sammanit kiya jata tha aur raja us samay yeh uppadhi apna lete they bhley hi unki caste ya clas kuch bhi ho . partiharo ko pahle gurjar se bhi jana jata tha lekin samay ke sath unhone ek new identity upna li rajput kyonki yeh uppadhi rulers ko di jati thi 12th centuries se iski shurwat hui thi. lekin kuch partiharo ne gurjar identity ko upna kr rakha kyu ki wah 12th century tk unka raaj khatm ho chuka tha aur jin partiharo ka raaj tha wah rajput kahlaye for eg- ek aadmi ke do bete hai ek to raees hai jameen jaydad wala hai aur ek gareeb hai. ameer ko choudhary ki iddentity mil gyi aur gareeb ko nahi aur aage chl kr ameer ke vanhsajo ko bhi choudhary ki iddentity mil gyi lekin gareeb valo ko choudhary ki iddentity nhi mili. thik ese hi partiharo ke case me bhi hai jin partiharo ka raaj raha unhe rajput kha gya. aur bhaishab jo aap yeh keh rahe ho ki partihar gotra sirf rajputo ka hai jra gurjaro ke gotra ki list dekh lo usme bhi partihar gotra aur mane khud es gotra ke logo ko gurjar me paya hai. yeh gotra donao hi jaatiyo me hai naaki sirf rajputo me. aur aakhri me sirf yeh khaunga ki kripya kr in jaatiyo ke chakkr me padd kr apna bhaichara mat khoye sirf hindu bano aur rahi baat jaatiyo ki to dono hi jaati ka purane samay me origin ek hi tha isileye dono hi jaatiyo me laghbag kaafi gotra bhi same hai jese solanki,tanwar,chandella, panwar,rawat,panwar etc yeh list kaafi lambi hai. bhai 2 ya 3 gotro ka to ittefaq bhi samaj lete likin lgbhag sare gotra same hai. even mere gotra bhi rajputo me paya jata hai jo ki rawal hai.
ReplyDeletedhanyawad
इतनी बहस कर रहे हो
ReplyDeleteमें एक ही बात कहना चाहूंगा जिन्होंने अभी तक सनातन संस्कृति जीवित रख रखी है वो क्षत्रिय है ।
अशुद्ध कोख या रक्त से जन्मा व्यक्ति जिनको वर्णशंकर कह सकते हो वो कभी क्षत्रिय नही हो सकता ।
इतिहास को अपने पक्ष में लाना आसान है लेकिन क्या आप सब क्षत्रिय बनने के लिए लड़ा रहे हो उसकी वास्तविक संस्कृति के बारे में पता है ।
ओर मेवाड़ में गुर्जर बापा रावल के लिए use किया गया तो में उनका वंसज हु ।
उनके वंसज है जो सभी राजपूत है ।
गुर्जर तो कोई है ही नही इनके वंश में ।
इतिहास को बदलना आसान है समझना मुश्किल कितनी भी कोषिष कर लो सत्य सत्य ही रहेगा ।
संस्कृत और हिंदी शब्दो मे फेर है ।
हरियाणा के पानीपत जिले में बापौली कस्बा है इसके चारों ओर गुर्जरों के 27 से 28 गांव में जो रावल गोत्र के हैं और बप्पा वाली कस्बे को बप्पा रावल ने बसाया था यह है आपका जवाब
Deleteअपनी वकवास कोशिश बंद करो अब भ्रमित करने के दिन गए, राजपूत कोई जाति नहीं थी, और प्रतिहारों का परिहार और परमार से कोई नाता नहीं है परमार राष्ट्रकूटों के उत्तराधिकारी थे, जबकि प्रतिहार गुर्जरों की एक शाखा थी। राजपूत जोकि कई जातियों के उत्तरभारतीय राजाओं का संघ था, जो वैवाहिक संबंदों के आधार पर विकसित हुआ था।(6वी से 12वी शादी तक)
ReplyDeleteIt is right
Deleteपरमार राज भोज ने खुद लिखा है पढ़ ले उनकी लिखी बुक चेक कर लेना गूगल पर👇👇👇👇
Deleteसरस्वती कंठाभरण
॥श्रीः ॥ परमारवंश्यो भोजदेवः ।
वासिष्ठत्म कृतस्मयो बरशतेरस्त्यग्निकुण्डोङ्गयो । भूपाला परमार इत्यभिषया ण्यातो महीमण्डले ॥ अद्याप्युदतहयंगद्दगिरो गायन्ति यस्यार्बुदे । विश्वामित्रजयोनिमतस्य भुजयोफिस्फूजितं गुर्जराः ॥
आबू पर्वत पर के गुर्जर लोग , वसिष्ठ के अग्निकुंड से उत्पन्न हुए और विश्वामित्र को जीतनेवाले , परमार नामक नरेश के प्रताप को अब तक भी स्मरण फिया करते हैं ।
राजा भोज परमार के लिखे बुक👇
उन्होंने 'समरांगण सूत्रधार', 'सरस्वती कंठाभरण', 'सिद्वांत संग्रह', 'राजकार्तड', 'योग्यसूत्रवृत्ति', 'विद्या विनोद', 'युक्ति कल्पतरु', 'चारु चर्चा', 'आदित्य प्रताप सिद्धांत', 'आयुर्वेद सर्वस्व श्रृंगार प्रकाश ', 'प्राकृत व्याकरण', 'कूर्मशतक', 'श्रृंगार मंजरी', 'भोजचम्पू', 'कृत्यकल्पतरु', 'तत्वप्रकाश', 'शब्दानुशासन', 'राज्मृडाड' आदि ग्रंथों की रचना की।
Ab ye khena bewkoofo Ki Raja Bhoj Parmar ko nh pta tha ki wo kn hai jo khud parmaro ko Gurjar bta rhe hai
u are right
DeleteJisko apna etihas nhi pata vo Gurjar ka etihas Bata rha hai bade sharm ki bat hai
ReplyDeleteMera gotra tomar h or meri caste gurjar par muje apne gurjar hone par bahut proud h bhagwan muje agle janm me bhi gujjar hi bnana
ReplyDeleteKoi bhi apne KO chhota nahi manega. Vapas rajtantra aane wala nahi. Kyon ladte ho?ham bhai Hain. Jay VEEEEEEEEEEEEEER GURJAR. JAY RAJPUTANA JAY SHRIRAM
ReplyDeleteगुर्जर वंश के शिलालेख)👇👇👇👇
ReplyDeleteनीलकुण्ड, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है ।राजजर शिलालेख" में वर्णित "गुर्जारा प्रतिहारवन" वाक्यांश से। यह ज्ञात है कि प्रतिहार गुर्जरा वंश से संबंधित थे।
ब्रोच ताम्रपत्र 978 ई० गुर्जर कबीला(जाति)
का सप्त सेंधव अभिलेख हैं
पाल वंशी,राष्ट्रकूट या अरब यात्रियों के रिकॉर्ड ने प्रतिहार शब्द इस्तेमाल नहीं किया बल्कि गुर्जरेश्वर ,गुर्जरराज,आदि गुरजरों परिवारों की पहचान करते हैं।
बादामी के चालुक्य नरेश पुलकेशियन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख आभिलेखिक रूप से हुआ है।
राजोरगढ़ (अलवर जिला) के मथनदेव के अभिलेख (959 ईस्वी ) में स्पष्ट किया गया है की प्रतिहार वंशी गुर्जर जाती के लोग थे
नागबट्टा के चाचा दड्डा प्रथम को शिलालेख में "गुर्जरा-नृपाती-वाम्सा" कहा जाता है, यह साबित करता है कि नागभट्ट एक गुर्जरा था, क्योंकि वाम्सा स्पष्ट रूप से परिवार का तात्पर्य है।
महिपाला,विशाल साम्राज्य पर शासन कर रहा था, को पंप द्वारा "गुर्जरा राजा" कहा जाता है। एक सम्राट को केवल एक छोटे से क्षेत्र के राजा क्यों कहा जाना चाहिए, यह अधिक समझ में आता है कि इस शब्द ने अपने परिवार को दर्शाया।
भडोच के गुर्जरों के विषय दक्षिणी गुजरात से प्राप्त नौ तत्कालीन ताम्रपत्रो में उन्होंने खुद को गुर्जर नृपति वंश का होना बताया
प्राचीन भारत के की प्रख्यात पुस्तक ब्रह्मस्फुत सिद्धांत के अनुसार 628 ई. में श्री चप
(चपराना/चावडा) वंश का व्याघ्रमुख नामक गुर्जर राजा भीनमाल में शासन कर रहा था
9वीं शताब्दी में परमार जगददेव के जैनद शिलालेख में कहा है कि गुर्जरा योद्धाओं की पत्नियों ने अपनी सैन्य जीत के
परिणामस्वरूप अर्बुडा की गुफाओं में आँसू बहाए।
। मार्कंदई पुराण,स्कंध पुराण में पंच द्रविडो में गुर्जरो जनजाति का उल्लेख है।
अरबी लेखक अलबरूनी ने लिखा है कि खलीफा हासम के सेनापति ने अनेक प्रदेशों की विजय कर ली थी परंतु वे उज्जैन के गुर्जरों पर विजय प्राप्त नहीं कर सका
सुलेमान नामक अरब यात्री ने गुर्जरों के बारे में साफ-साफ लिखा है कि गुर्जर इस्लाम के सबसे बड़े शत्रु है
जोधपुर अभिलेख में लिखा हुआ है कि दक्षिणी राजस्थान का चाहमान वंश गुर्जरों के अधीन था
कहला अभिलेख में लिखा हुआ है की कलचुरी वंश गुर्जरों के अधीन था
चाटसू अभिलेख में लिखा हुआ है की गूहिल वंश जोकि महाराणा प्रताप का मूल वंस है वह गुर्जरों के अधीन था
पिहोवा अभिलेख में लिखा हुआ है कि हरियाणा का शासन गुर्जरों के अधीन था
खुमाण रासो के अनुसार राजा खुमाण गुर्जरों के अधीन था
भिलमलक्काचार्यका ब्रह्मा स्फूट सिद्धांत
उद्योतनसुरी की कुवलयमाला कश्मीरी कवि कल्हण की राजतरंगिणी
प्रबन्ध कोष ग्रन्थ व खुमान रासो ग्रंथ के अनुसार गुर्जरों ने मुसलमानों को हराया और खुमान रासो
राम गया अभिलेख
बकुला अभिलेख
दौलतपुर अभिलेख
गुनेरिया अभिलेख
इटखोरी अभिलेख
पहाड़पुर अभिलेख
घटियाला अभिलेख
हड्डल अभिलेख
रखेत्र अभिलेख
राधनपुर और वनी डिंडोरी अभिलेख
राजशेखर का कर्पूर मंजरी ग्रंथ, काव्यमीमांसा ग्रंथ ,विध्दशालभंजिका ग्रंथ
कवि पंपा ,
जैन आचार्य जिनसेन की हरिवंश पुराण आदि के द्वारा दिया गया
लाल कोट किला का निर्माण गुर्जर तनवार प्रमुख अंंगपाल प्रथम द्वारा 731 के आसपास किया गया था जिसने अपनी राजधानी को कन्नौज से लाल कोट में स्थानांतरित कर दिया था।
इतिहासकार डॉ ऑगस्टस होर्नले का मानना है कि तनवार गुर्जरा (या गुज्जर) के शासक वंश में से एक थे।
लेखक अब्दुल मलिक,जनरल सर कनिंघम के अनुसार, कानाउज के शासकों गुजर जाती
(गुजर पी -213 का इतिहास) 218)। उनका गोत्रा तनवार था
गुर्जर साम्राज्य अनेक भागों में विभक्त हो गया ।इनमें से मुख्य भागों के नाम थे:
शाकम्भरी (सांभर) के चाहमान (चौहान)
दिल्ली के तनवार गुर्जर
मंडोर के गुर्जर प्रतिहार
बुन्देलखण्ड के कलचुरि गुर्जर
मालवा के परमार गुर्जर
मेदपाट (मेवाड़) के गुहिल गुर्जर
महोवा-कालिजंर के चन्देल गुर्जर
सौराष्ट्र के चालुक्य गुर्जर
Nice
DeleteI salute kanisk Singh tanwar.
ReplyDeleteI am proud of you.
You are very important for veer GUJJAR community.
Rajputo ka ithihass 12 vi shatabdi see shuru hotA hai , karnal jamestod Jo rajputo ke darbar me the Jo lekhak the rajputo ne unhe Paisa Diya aur like Yaya ki gujjar rajputo ke vanshaj hai IS baat to mat bhulo ki pehle 2-3 jatiya thi jinme gujjar sabse pehle late hai rajput nahi jhuta ithihass banana band Karo
ReplyDeleteabe o kisi bhi standard textbook ko padh le 6th century to 12th century ke kal ko rajput kal kehte hain ab ye gurjar logon ne aazadi ke bad apne ko mihir bhoj se jodna suru kar diya
Deleteपरमार राज भोज ने खुद लिखा है पढ़ ले उनकी लिखी बुक चेक कर लेना गूगल पर👇👇👇👇
Deleteसरस्वती कंठाभरण
॥श्रीः ॥ परमारवंश्यो भोजदेवः ।
वासिष्ठत्म कृतस्मयो बरशतेरस्त्यग्निकुण्डोङ्गयो । भूपाला परमार इत्यभिषया ण्यातो महीमण्डले ॥ अद्याप्युदतहयंगद्दगिरो गायन्ति यस्यार्बुदे । विश्वामित्रजयोनिमतस्य भुजयोफिस्फूजितं गुर्जराः ॥
आबू पर्वत पर के गुर्जर लोग , वसिष्ठ के अग्निकुंड से उत्पन्न हुए और विश्वामित्र को जीतनेवाले , परमार नामक नरेश के प्रताप को अब तक भी स्मरण फिया करते हैं ।
राजा भोज परमार के लिखे बुक👇
उन्होंने 'समरांगण सूत्रधार', 'सरस्वती कंठाभरण', 'सिद्वांत संग्रह', 'राजकार्तड', 'योग्यसूत्रवृत्ति', 'विद्या विनोद', 'युक्ति कल्पतरु', 'चारु चर्चा', 'आदित्य प्रताप सिद्धांत', 'आयुर्वेद सर्वस्व श्रृंगार प्रकाश ', 'प्राकृत व्याकरण', 'कूर्मशतक', 'श्रृंगार मंजरी', 'भोजचम्पू', 'कृत्यकल्पतरु', 'तत्वप्रकाश', 'शब्दानुशासन', 'राज्मृडाड' आदि ग्रंथों की रचना की।
Padh le bewkoof or khud check kar lena ek br ki ye Raja Bhoj Parmar ne book likhe hai khud Ab Kho Khud Raja Bhoj Apne Ko Gurjar bta rha hai to ab ye mat khena ki Raja bhoj galti se likh gye
Or Abu Ke Agnikund se Gurjar paida hue likha h khud Bhoj Parmar ne mtlb ki
Chauhan
Chalukya
Partihar
Parmar
Charo agni kul Gurjar the or ye Khud Bhoj Parmar ne likha hai apni book mai padh lena
जय हो बहुत ही सुंदर एवं सरस व्याख्या
ReplyDeleteइतिहास का मालूम नहीं हो तो इतनी बड़ी-बड़ी डिंग नहीं मारनी चाहिए तू तो उन मुगलों की संतान है जिनको तुमने अपनी बहन बेटियों का जिस्म बेच दिया
ReplyDeleteगुजरी महल फिरोज शाह तुगलक ने अपनी गुर्जर रखैलो के साथ सोने के लिए बनाई थी ये भी उसी इतिहास में लिखा है पन्ना धाय राजपूतो के महलो में दासी थी ये भी बताना भूल गए
Deleteऔर पढो
राजस्थान में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की माँग कर रहे गूजरों का इतिहास काफ़ी पुराना है
भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी गूजर समुदाय के लोगों की काफ़ी संख्या है लेकिन वहाँ पर वे हिंदू नहीं, मुसलमान हैं.
भारत में गूजर जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में भी है.
हिमाचल और जम्मू कश्मीर में जहां गूजरों को अनुसूचित जनजाति का दर्ज़ा दिया गया है वहीं राजस्थान में ये लोग अन्य पिछड़ा वर्ग में आते हैं.
कुछ वर्ष पहले राजस्थान में जाटों को ओबीसी में शामिल किए जाने के बाद से गूजरों में असंतोष है.
नौकरियों में बेहतर अवसर की तलाश में गूजर अब ये माँग कर रहे हैं कि उन्हें राजस्थान में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले.
हालांकि कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि राजस्थान के समाज में इनकी स्थिति जनजातियों से कहीं बेहतर है.
प्राचनी काल में युद्ध कला में निपुण रहे गूजर मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.
राजपूतों की रियासतों में गूजर अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए भारतीय सेना में अभी भी इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है.
इतिहास
प्राचीन इतिहास के जानकारों के अनुसार गूजर मध्य एशिया के कॉकेशस क्षेत्र ( अभी के आर्मेनिया और जॉर्जिया) से आए थे लेकिन इसी इलाक़े से आए आर्यों से अलग थे.
कुछ इतिहासकार इन्हें हूणों का वंशज भी मानते हैं.
भारत में आने के बाद कई वर्षों तक ये योद्धा रहे और छठी सदी के बाद ये सत्ता पर भी क़ाबिज़ होने लगे. सातवीं से 12 वीं सदी में गूजर कई जगह सत्ता में थे.
गुर्जर-प्रतिहार वंश की सत्ता कन्नौज से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तक फैली थी.
मिहिरभोज को गुर्जर-प्रतिहार वंश का बड़ा शासक माना जाता है और इनकी लड़ाई बिहार के पाल वंश और महाराष्ट्र के राष्ट्रकूट शासकों से होती रहती थी.
12वीं सदी के बाद प्रतिहार वंश का पतन होना शुरू हुआ और ये कई हिस्सों में बँट गए.
गूजर समुदाय से अलग हुए सोलंकी, प्रतिहार और तोमर जातियाँ प्रभावशाली हो गईं और राजपूतों के साथ मिलने लगीं.
अन्य गूजर कबीलों में बदलने लगे और उन्होंने खेती और पशुपालन का काम अपनाया.
ये गूजर राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में फैले हुए हैं.
इतिहासकार कहते हैं कि विभिन्न राज्यों के गूजरों की शक्ल सूरत में भी फ़र्क दिखता है.
राजस्थान में इनका काफ़ी सम्मान है और इनकी तुलना जाटों या मीणा समुदाय से एक हद तक की जा सकती है.
उत्तर प्रदेश, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में रहने वाले गूजरों की स्थिति थोड़ी अलग है जहां हिंदू और मुसलमान दोनों ही गूजर देखे जा सकते हैं जबकि राजस्थान में सारे गूजर हिंदू हैं.
मध्य प्रदेश में चंबल के जंगलों में गूजर डाकूओं के गिरोह सामने आए हैं.
समाजशास्त्रियों के अनुसार हिंदू वर्ण व्यवस्था में इन्हें क्षत्रिय वर्ग में रखा जा सकता है लेकिन जाति के आधार पर ये राजपूतों से पिछड़े माने जाते हैं.
पाकिस्तान में गुजरावालां, फैसलाबाद और लाहौर के आसपास इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है.
तेरी अम्मी भी चूड़ी पड़ी थी मुगलों के बिस्तर में
Deleteb chutiya ma pannadaya ka balidan bhul gaye tum lanat h tum pe lant or ha muslman rajput bhi hote h or jaat bhi samjaor ha kuch state me rajput bhi sc st me aate h or tumne kyu le lita fir 10%ataksan jb etne bade raja ho tam hamate yaha rajput bal katte h ameet or greeb sabhi jatiyo m hote h
Deleteभगवान् राम का वंशज होने का दावा करने वालो (राजपूत)के दावे में है कितना सच ये आज आपको बताते है
ReplyDeleteकिताब का नाम "The Dancing Girl A History Of Early इंडिया" लेखक Balaji Sadasivan ने पेज नंबर 233 और 234 पर लिखा है कि 1561 ईसवी में भारमल कछवाहा जोकि आमेर का राजपूत सरदार था ने अपनी बेटी को अकबर के हरम में भेजा इसके बदले में अकबर ने भारमल कछवाहा राजपूत को आमेर का राजा बना दिया, भारमल राजपूत कि देखा देख और राजपूत राजाओ ने भी अपनी अपनी बेटियों का अकबर से निकाह करवाना शुरू कर दिया , आमेर के राजा पहले मुघलो के अधीन रहे फिर इन्होने मराठो की अधीनता स्वीकार करी और जब अंग्रेज आये तो उनके अधीन हो गए, इनको अकबर ने ही राजा बनाया था उससे पहले ये कोई राजा नहीं थे, झूठ तूफ़ान बोलके फर्जी वंशावली बनवाना इनके मुग़लिया लहू की खासियत है
Tare bap ne likhi the ky
DeleteGoojario ki choot marne boht door se KABHI khilji kbhi Tughluq aaye or Goojriio ne unko santusht bhi kia inki choot boht tight hoti h or boht maza deti hai , Mughal haram me goojriyaan jaaya krti thy or Badshah ko satisfy krti thy . Meri rakhel bhi goojri h uske tight choochi hai.
Deletemuglo or rajputniyo ke vivah ki bhut lambi list h likte likte battery low hojayegi phone ki ����������
Delete
ReplyDelete1562 से 1707 तक मुगलों और राजपूतों के बीच हुए प्रमुख वैवाहिक संबंध-
1- जनवरी 1562, अकबर ने राजा भारमल की बेटी से शादी की. (कछवाहा-अंबेर)
2-15 नवंबर 1570, राय कल्याण सिंह ने अपनी भतीजी का विवाह अकबर से किया (राठौर-बीकानेर)
3- 1570, मालदेव ने अपनी पुत्री रुक्मावती का अकबर से विवाह किया. (राठौर-जोधपुर)
4- 1573, नगरकोट के राजा जयचंद की पुत्री से अकबर का विवाह (नगरकोट)
5-मार्च 1577, डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर)
6-1581, केशवदास ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर से किया (राठौर-मोरता)
7-16 फरवरी, 1584, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का भगवंत दास की बेटी से विवाह (कछवाहा-आंबेर)
8-1587, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से विवाह (राठौर-जोधपुर)
9-2 अक्टूबर 1595, रायमल की बेटी से दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर)
10- 28 मई 1608, जहांगीर ने राजा जगत सिंह की बेटी से विवाह किया (कछवाहा-आंबेर)
11-पहली फरवरी, 1609, जहांगीर ने राम चंद्र बुंदेला की बेटी से विवाह किया (बुंदेला, ओर्छा)
12-अप्रैल 1624, राजकुमार परवेज का विवाह राजा गज सिंह की बहन से (राठौर-जोधपुर)
13-1654, राजकुमार सुलेमान शिकोह से राजा अमर सिंह की बेटी का विवाह(राठौर-नागौर)
14-17 नवंबर 1661, मोहम्मद मुअज्जम का विवाह किशनगढ़ के राजा रूप सिंह राठौर की बेटी से(राठौर-किशनगढ़)
15-5 जुलाई 1678, औरंगजेब के पुत्र मोहम्मद आजाम का विवाह कीरत सिंह की बेटी से हुआ. कीरत सिंह मशहूर राजा जय सिंह के पुत्र थे. (कछवाहा-आंबेर)
16-30 जुलाई 1681, औरंगजेब के पुत्र काम बख्श की शादी अमरचंद की बेटी से हुए(शेखावत-मनोहरपुर
Kuch bhi likhte ho mihirbhoj ke samkaleen itihaskar suleman ne bhi mihirbhoj ko gujjar btaya h jise proof chahiye vo bta de
ReplyDeleteTu nu bata kha milega me bataoga tuje gujjaro ka Itihaas
ReplyDeleteTu bta de tere se bhi mil k bataunga Tera itihas
DeleteHam gujjaro me Aaj Tak Koi biradari ka Gaddar Nahin hua
ReplyDeleteAur Tumhen bahut Sare Gaddar hue hain Mansingh Jaichand
Proud to be Gurjar kanshik bhai app ki sare bate right h.....Jay Gurjar samaj ki
ReplyDeleteAre Bhai tum rajput kyu Gurjaro ko apna baap bna rhe Ho
ReplyDeleteAre Bhai tum rajput kyu Gurjaro ko apna baap bna rhe Ho
ReplyDeleteAre Bhai tum rajput kyu Gurjaro ko apna baap bna rhe Ho
ReplyDeleteAre Bhai tum rajput kyu Gurjaro ko apna baap bna rhe Ho
ReplyDeleteसब अपनी अपनी मनघड़ंत बाते बनाते हो तुम सालो गुर्जर प्रतिहार वंश के हर शिलालेख ओर उनके इतिहास पुरानी पुस्तको में उन्हें गुर्जर प्रतिहार बताया गया है
ReplyDeleteभगवान राम के भाई लक्ष्मन जी से उत्पन बताया है गुर्जरो को तुम राजपूतो से ज्यादा भारी इतिहास है और तुमारी को से 1000 गुना ज्यादा वीर ओर बहादुर है इसीलिए वीर कहते है हमे
Hum gurjar he
DeleteGurjar me se nikle he Rajput firstly u all need to study the history correctly with ur spectacles...
ReplyDeleteGurjar Kinda Baad...
ReplyDeleteGurjar Ki barabari koi nahi kar sakta OK Jo Gurjar ka samna karega vo miti me mil jayga veer Gurjar jai shree devnarayan bhoj bhagdawat
ReplyDeleteRajput vansh
ReplyDeletethakur Tomar Rajput sisodiya Solanki parihar parmar gurjar badgujar Solanki aadi Sahab Rajput ke antargat aate Hain fir bhi e gurjaron ki cattagri OBC mein kyon rakha gaya
Sale obc general sc st ye to sarkar dwara artik sthati ko dek kar di gai category he sale tum rajputo ki hi aulad he daroga samaj rawna rajput to vo bhi obc me he
DeleteBharatpur me jat general me he kyu ke vha unki riyasat thi isliye achi condition me he vo ye isliye reh gye kyu ke inki riyasat sn 1800 bad khatam hui bhut km samay pahle varna ve bhi apni lanka luta chuke hote agar inka rajbkal 500 1000 saal pahle khatam ho gya hota to
रे दुनिया की गाँड न्यू ही जलेगी ,ओर जो गुर्जरन ते जलेगो वाकी बहन चुदेगी ,ओर साले राजपूतो थारे पूर्वज तो हमारे पूर्वजों की चिलम भरते थे
ReplyDeleteYe bat Sahi bole veere
DeleteBc chutiye kshatriy to gurjar bhi he yadav bhi he or bhi jatiy he tere akele ka theka nahi he or sun gurjar pratihar gurjar hi he gandu ek bar hmara itihas padh bhagwaan devnarayan raja sawai bhoj bhuna ji samrat prithviraj ye sabhi hmare chouhan gotra ke veer kshatriy the or bhi he bhadana vansh kasana vash judev panwar or bhi kai vansh
ReplyDeleteBhagg sale
चल भैंस चरा लोडे
DeleteDhanyawad apka aise Hii madad krte Rhee..apne samaj kaa jai Ho Rajput samrat prithviraj Chauhan ji ki 🚩🚩
ReplyDeleteHum gurjaro ko hamara itihas batane.ki jarurt nahi hamRa toh kaam bolta ha or dum a Jaye kis ko dum dikhani h Hum akele hi bahut ha laase bichano ko hamari army me bhi gurjRo ka jalwa ha
ReplyDeleteBaghwaan ne itna diya ha gurjaro ko ki faltu bato par dhyan dene ka time kaha ha
ReplyDeleteGurjar ki history Jane to mere pas AA sbut sahit bataunga
ReplyDeletePata Nahi Kaha se fools as jate Hain gujjar ko badnaam Karne , gujjoron ki itihas gauravshali tha , angreozon ne Mita Diya itihas , aur rajpoot koi shabd hi Nahi tha , yeh angreozon ne Diya naam , rajpoot Ka MATLAB Hain raja Ka poor , and raja koi bhi ho Sakta tha , kisi BHI caste Ka , surayanvasni gujjars hote Hain , sab Likha Hain itihaas Mai
ReplyDeleteगुर्जर हूणों और कुषाणो की सन्तान नहीं वो गुर्जरों यानि हमारी सन्तान है
ReplyDeleteक्योंकि गुर्जर और यादव जाति का उल्लेख तो वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है पढ़ा नहीं तुमने कभी गवारो वाली हरकत करते हों 😂😂😂🤣🤣🤣
Ye gujjar ahir bahan ke lode hai inki buddhi choti hai inko 4 laathi maro tab samjhao samjh jayengai.
ReplyDeletemadarchod kutto gujjar veer,kshatriya yodhha he tum jese nahi mas machhar khate ho salo tum aur gujjar dudh,sahi,ghi
ReplyDeleteRajput smaj ye bat kbi swikar nhi krega ki rajput khud gurjaro se nikle huye h. Rajput or gurjar dono ek hi h
ReplyDeleteहिन्दू धर्म में पुराणो को सत्य कहा गया है तो राजपूत क्षत्रिय नहीं है और अगर वो क्षत्रिय है तो हिन्दू धर्म के आधार रहे पुराण गलत है क्या🤔🤔🤔🤔👇👇👇👇
ReplyDeleteस्कंदपुराण , सह्याद्रिखंड , अ ० २६ में ' रजपूत ' नामक एक जाति की उत्पत्ति इस प्रकार लिखी है 👇
शूद्रायां क्षत्रियादुअः क रका प्रजायते । शस्त्रविद्यासु कुशलः संग्राम कुशलो भवेत् ।। तया वृत्या सजीवेद्यः शूद्र धर्मा प्रजायते । रजपूत इति ख्यातो युद्ध कर्म विशारदः ।। अर्थ - क्षत्रिय से शूद्र जाति की स्त्री में रजपूत उत्पन्न होता है । यह भयानक , निर्दय , शस्त्र विद्या और रण में चतुर तथा शूद्र धर्म वाला होता है और शस्त्रवृत्ति से अपनी जीविका चलाता है । * " रजपूत ' और ' राजपूत ' दोनों ही राजपुत्र शब्द के अपभ्रंश हैं ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में राजपूतों की उत्पत्ति के विषय में वर्णन है । < ब्रह्मवैवर्तपुराणम् ( खण्डः १ - ( ब्रह्मखण्डः ) अध्यायः ० ९ ब्रह्मवैवर्तपुराणम् अध्यायः १० क्षत्रात्करणकन्यायां राजपुत्रो बभूव ह ।। राजपुत्र्यां तु करणादागरीति प्रकीर्तितः ।। 1/1011 " ब्रह्म वैवर्तपुराण में राजपूतों की उत्पत्ति क्षत्रिय के द्वारा करण कन्या से बताई करणी मिश्रित या वर्ण - संकर जाति की स्त्री होती है ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार करण जन - जाति वैश्य पुरुष और शूद्रा - कन्या से उत्पन्न है । और करण लिखने का काम करते थे । ये करण ही चारण के रूप में राजवंशावली लिखते थे । एसा समाज - शास्त्रीयों ने वर्णन किया है । तिरहुत में अब भी करण पाए जाते हैं । लेखन कार्य के लिए कायस्थों का एक अवान्तर भेद भी करण कहलाता है ।
भाई मुसलमानों के आने से पहले तुम राजपूतों का नाम तक नहीं था इतिहास में और तुम गुर्जरों की उत्पत्ति की बात करते हो इतने ही बड़े क्षत्रिय हो तो एक साक्ष्य या परिमाण दिखा दो 12वीं सदी से पहले का जो राजपूत जाति का उल्लेख करता हो... कोई एक शिलालेख दिखा दो जो राजपूत जाति का उल्लेख करता हो? पृथ्वीराजरासो मैं दिखा दो अगर कहीं राजपूत जाति का उल्लेख हो तो हम्मीर काव्य में दिखा दो अगर कहीं राजपूत जाति का उल्लेख हो तो मिहिर भोज के शिलालेखों पर दिखा दो अगर कहीं भी उसने खुद को राजपूत जाति का कहा हो तो और इन सब जगह तुम्हें भरमार मिलेगी गुर्जर शब्द की और इन सब राजाओं द्वारा खुद को गुर्जर कहने की।
ReplyDeleteभाई आपने तो इनकी कह कर ले ली🤣🤣🤣
DeleteJai gurjar smaj
ReplyDeletejab gurjratra me rahne vaale sab gurjar lagaate the to tumne kyu ni lagaya???ya fir tum gurjratra se nahi the bahri the???aur inke shilalekho me kanhi bhi rajput kyo nahi hai???aur jab tum chhatriya the to muglo ko apni ladkiya kaise de dete the????itihaaschoro muglo ab sachchayi sabke saamne aakar rahegi
ReplyDeleteKshatriya jaati se nhi karm se hote h
ReplyDeleteMuglo ko jija banate ho!
थोड़ा बहुत जोधा का भी इतिहास बता दे यार अकबर फूफा को बताना पड़ेगा ठीक है
ReplyDeleteजोधाबाई भोपी का भी इतिहास बताता है
ReplyDeleteज्यादा नही बोलूंगा बस तू गुर्जरात्रा का मतलब बतादे अगर तूने सही बता दिया तुझे एक सच्चा इतिहासकार मान लूंगा
ReplyDeleteJai gurjar samaj
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