पुण्डीर क्षत्रियो के गाँव अंब्हैटा चाँद का इतिहास --
यू तो राजपूतो ने प्राचीन समय से ही अनेक राज्यो , देश , स्थान पर बाहुबल से अधिकार किया व उसे अबाद किया है , उसी तरह " गाँवो को बसाया " से क्या मतलब है उसपर थोडी जानकारी देने का प्रयास कर रहा हूँ जितना मै समझ सका हूँ एसा ही होता होगा !
राजा चाँद सिंह पुण्डीर जो कि संम्राट प्रथ्वीराज चौहान के वीर सेनापती व मित्र थे इनके 7 पुत्र हुए , राजा धीर सिंह , बिसलदेव , साहबदेव , उदय देव आदि , इनमे कुँवर बिसलदेव की वंश श्रंखला मे राजा मान सिंह , आदू सिंह , खेता सिंह आदी हुए व एक वीर राणा रायदल हुए ! भाट बताते है कि रायदल नए स्थान की खौज मे अपने कुटुंब सहीत यमुनापार क्षेत्र मे घूम रहै थै तब उनहे रास्ते मे एक ब्राह्मण परिवार चिंता मे मिला , रायदल जी ने चिंता का कारण पुछा तो उनहोनी बताया की उनके गाँव अंब्हैटा मे पिले पंडित ( जो इंसानो का मास खाते थे) रहते है उनहोने मेरी बेटी का डोला मांगा , उनसे बचकर हम गाँव छोड बहार भाग रहे है , इतना सुनकर रायदल जी ने अंब्हैटा पर अधिकार करने का मन बनाया और पिले पंडितो को दंड देने के लिऐ उस और चल पडे और दूसरे दिन अंब्हैटा पहुँच गए , वहाँ जाकर देखा कि पिले पंडित हमेसा पलकटि ( एक हथियार) लेकर रहते है और झुंड मे रहतै है कही से भी वार कर सकते है तबरायद जी के पास एक औरत आई (चूढी जाति कि) उसने बताया कब हमला करना है , उसके बताए अनुसार रायदल जी व उनके कुटुंब वाले पिले पंडितो पर टूट पडे और उनको काट काट के कुए मे गेरतै गए , किंतू उनसे एक गलती हो गइ , जिस औरत ने उनहे रासता बताया था मारने का उस औरत पर भी तलवार चल गइ और वह मर गइ और मरतै मरतै श्राप देकर गइ कि इस गाँव की लडकिया शादी केै बाद सुखी नही रहेगी , किंतू इस गलती की क्षमा याचना करने पर वह बोली यदि शादी के बाद लडकी मुझे पुजने आएगी तो सही रहेगा वर्ना कभी खुश नही रहैगी , इसी लिए आज तक गाँव मे बसंती माता के नाम से पुजी जाती है !
अंब्हैटा चाँद के आज जहाँ शमशान घाट है वहां से घटना हुइ थी , तब वहाँ से दूसरी तरफ रायदल जी ने अधिकार कर अंब्हैटा का नाम अंब्हैटा चाँद किया ( क्युकी वह राजा चाँद सिंह पुण्डीर के वंशज थे) ! और पुण्डरी सति की स्थापना यहाँ कराइ जो आज तक पुजी जाती है ! आज यह हिस्सा पाँच गाँव मे बट गया है , अंब्हैटा चाँद , मिरजापुर , भगवानपुर , टपरी , आमवाला ! जो पंचगवी के नाम से जिला सहारनपुर मे मशहूर है !
इस घटना से यह पता लगता है कि गाँव राजपूतो ने नही बसाए , वो तो पहले से बसे बसाए थै , राजपूतो ने उनपर साशन अधिकार कर उसको अपना बनाया है...
वंशावली इस प्रकार है ---
महाराज पुण्डरीक (चौथी शताब्दी )
असम
धनवंत
बाहुनीक
राजा लक्ष्मण कुमार ( तिलंग देव = प्रथम पुण्डीर राजय तिलंगाना की स्थापना )
जढासुर
मढासुर ( कुरूक्षेत्र मे पुण्डरी नगर कि स्थापना करी व पुण्डीर राज्य की नीव रखी)
राजा सुफे देव
राजा ईशम सिंह ( सतमासा जन्मा)
सीरबेमल
बीडोजी
राजा कदंब
वासुदेव
राजा कुंथल ( हरिद्वार मे मायापुरी राज्य बसाया)
सलाखन देव ( सुलखन )
राजा चाँद सिंह पुण्डीर ( प्रथ्वीराज चौहान के प्रमुख सामंत व योद्धा ...7 पुत्र हुए )
कुँवर बिसलदेव
राणा मान सिंह
आदू सिंह
ठाकुर खेता सिंह
कुँवर संगत सिंह
बनेचंद सिंह
दयादारा सिंह
राजा रायदल सिंह ( अंब्हैटा चाँद बसाया)
राणा दल सिंह
खडक सिंह
त्रिलोकचंद सिंह
ठाकुर किशनदास सिंह
ठाकुर चंद्रभाम सिंह
ठाकुर बसंता सिंह
राणा हरिराय सिंह
राज सिंह
अजीत सिंह
बासूं सिंह
ठाकुर गौहर सिंह
राणा फकिरा सिंह
राणा चमेला सिंह
ठाकुर रामानंद सिंह (पूर्व प्रधानाचार्या)
कुँवर देवानंद सिंह
भँवर यश प्रताप सिंह पुण्डीर व भँवर हर्ष पुण्डीर!
🙏मेरे पूर्वज को नमन
जय क्षात्र धर्म 🚩
स्वाभिमान अमर रहे🚩
जय सति पुण्डरी 🚩
----------- " श्री क्षत्रिय इतिहास शोध संस्थान " सहारनपुर +91-9412186747
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